मातृश्री के चरणों में पत्रपुष्प

*पूज्य श्री नारायण साँई जी ने पूज्य श्री श्री लक्ष्मी मैयाजी के चरणों में किया पत्रपुष्प अर्पित…!*

उल्लेखनीय है कि दिनांक 18 मार्च 2017 को कई महीनों के बाद अपने संत पुत्र का जेल में हाल-चाल देखने पूछने पहुँची मैया लक्ष्मी देवी को नारायण साँई जी बहुत भाव से मिले… कुछ देर मौन भाव में वार्तालाप हुआ… माँ ने पुत्र को गले लगाया… और भरपूर स्नेह आशीष भरसाए… जल्दी छूटने की आशा व्यक्त की । साथ में बहन भारती श्री जी भी थीं… जेल के बाहर भक्त उनका दीदार करने उमड़ पड़े… नारायण साँई जी ने पूज्य मैयाजी को एक भाव युक्त पत्रपुष्प अर्पण किया… जिन्होंने भी देखा सब भाव-विभोर हो गए…

*स्वयंसिद्धा, स्वयंबुद्धा, स्वयंपूर्णा, स्वयंशक्ता अनंत श्री विभूषिता ब्रह्मस्वरूपा सच्चिदानंदा प्रेमपूर्णा श्री श्री भगवती माँ लक्ष्मीदेवी महाभागा के पूज्य पावन चरणारविन्दों में अनन्त कोटि प्रणाम करते हुए आपका स्वअंश नारायण धन्यता, कृतकृत्यता की अपार सुखानुभूति प्राप्त कर रहा है ।*

*लंबे अरसे के बाद, आपके दर्शन करके आज आँखें धन्य होंगी, यह सोचकर ही रोमांचित हूँ, पुलकित हूँ, आल्हादित हूँ ।*

*ऐसा कौन अभागा पुत्र होगा जो अपनी माता का स्नेह पाकर सुखी व संतुष्ट न होता होगा ? लेकिन मैं तो विशेष रूप से स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ जिसे अपनी माँ का बचपन में साथ – पास – संरक्षण मिला पर बाद में दूरी होने में बावजूद भी अगम्य अतुल्य स्नेह संरक्षण – कृपा संरक्षण मिलता रहा, बढ़ता रहा और ये आज भी बरकरार है ।*

*आपकी परोक्ष संन्निधि में आपका पुत्र मुसीबतों के बीच, तीन वर्ष से अधिक जेल में होने के बावजूद भी सम, प्रसन्न एवं स्वस्थ है ये आपकी कृपा का प्रमाण नहीं तो और क्या है ?*

*आपकी करुणा, प्रेम और अपार कृपा के कारण ही, परतंत्र – पराधीनता से युक्त कारावास में इस शरीर के होने के बावजूद भी आत्मिक स्वतंत्रता – स्वाधीनता की आत्मानुभूति में मस्त रह पाना सफल हुआ है ।*

*इन अभावों के बीच आपकी कृपा व संस्कारों का प्रभाव बरकरार है – इसे देख दुनिया हतप्रभ व चकित है ।*

*तीन वर्ष से अधिक समय हो गया जेल में, भारत के न्यायालय को, मैं दोषी हूँ या निर्दोष – यह तय करने में आगे और कितना वक्त लगेगा – नहीं पता । सचमुच, विलम्ब से मिला न्याय, अन्याय समान ही है । Justice delayed, Justice denied, देरी से मिला न्याय, न्याय का तिरस्कार करने जैसा या ठुकराने जैसा है । मैं निर्दोषों की पीड़ा को समझ सकता हूँ । अन्याय अत्याचार का भुक्त भोगी हूँ और भारत के साढ़े चार करोड़ से अधिक कैदी – आरोपी भारत की जेलों में हैं उनमें से कितने हजारों-लाखों तो निर्दोष हैं और वे अपराधियों की नाईं जीने को मजबूर हैं । इसे मैं न्यायिक आतंकवाद कहता हूँ । Judiciary Terrorism से मैं भारत को मुक्त कराना चाहता हूँ और इसके लिए आपका आशीर्वाद चाहता हूँ । अन्याय अत्याचार विरोधी आंदोलन समिति – पूरे देश भर में यह कार्य करे जिससे न्याय (1) जल्दी मिले, (2) सस्ता मिले (3) सबको मिले ।*

*विश्व के कुछ देशों में जेलें खाली हो रही, बंद हो गई और यहाँ जेलें कम पड़ रही । क्या यही विकास है ? राजनेता लोग विकास के नाम पर लोगों को गुमराह करते हैं । प्रदूषण का विकास, अपराधों का विकास, रोगों का विकास – ये सबका विकास हो रहा है । हकीकत में मनुष्य तेजी से विकास तले विनाश की ओर जा रहा है – ये हकीकत है ।*

*दैवी गुण – दैवी स्वभाव कम होता जा रहा है । आत्मविकास – आध्यात्मिक विकास ही वास्तविक विकास है । राजनेताओं का विकास का अर्थघटन करना ही नहीं आता ।*

*जेल में बहुत गहरा व उमदा चिन्तन हो रहा है और आपकी कृपा से यह चिन्तन देश – दुनिया को नई दिशा देगा । नया बदलाव देगा । उज्जवल भविष्य देगा । आपका विशेष आशीर्वाद मुझे चाहिये । मैं हितकारी मानवमात्र की उन्नति के लक्ष्य में सफल होना चाहता हूँ ।*

*मेरे पिताजी,कभी स्पष्ट बोलने में पीछे नहीं रहें ! मेरे – आपके – किसी के लिए भी मन में जब जो जैसा आया – बोल दिया ! चाहे सामने वाले को अच्छा लगे या बुरा । स्पष्ट रूप से अपने मन की प्रसन्नता या नाराजगी – जो भी जैसा भी मन में आया बेझिझक निःसंकोच बोल दिया । आश्रम के संचालक हों या राजनेतागण हों – सबके लिए उन्होंने बोला । राजनीतिक षड्यंत्र करके उनको – मुझको और हमारे पूरे परिवार को बेबुनियाद संगीन आरोपों के तहत बदनाम किया गया और इसमें भारत की मीडिया ने भी पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाई और बदनाम करने में कोई कमी नहीं रखी । बदनाम व बर्बाद करने में उनके इरादे – उनकी आसुरीवृत्ति का परिचायक है । देवासुर संग्राम आज भी जारी है । देवों की भी विजय होगी परंतु देवों को संगठित होना होगा – एक होना पड़ेगा । आपकी कृपा व आशीर्वाद आसुरी शक्तियों को परास्त करे व दैवी शक्तियों को विजयी बनाये उसके लिए अति आवश्यक है । हम ओजस्वी – तेजस्वी दैवी लोग संगठित होकर प्रयास करेंगे तो अवश्य विजयी एवं सफल होंगे । आपका आशीर्वाद हमें संगठित करे, विजयी बनाए । आपके संकल्प, आशीर्वाद, कृपा के संबल पर भरोसा है ।*

*आपका आरोग्य बेहतर हो, दीर्घकाल तक आपका साथ – सहयोग और आशीर्वाद उत्साहित – आनंदित हमें बनाता रहें, और आपकी कृपा हमें संकटों – विघ्नों – मुसीबतों से झूझने की ताकत देती रहे – हिम्मत बढ़ाती रहे । इसी आकांक्षा के साथ -*

*आपका अपना बालक -* 

*’निरंजन’ ‘नारायण’ ‘ओहम्मो’*

 

विश्वशान्ति मिशन

कल (19.03.2017) भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने अंतर्राष्ट्रीय बुद्ध सम्मेलन में विश्व शांति के लिए समाधान और विचार प्रकट किये… उन विचारों की श्रृंखला में श्री नारायण साँई जी द्वारा कुछ समय पूर्व दिये विचारों का यदि समावेश हो तो विश्व शांति जल्दी आ सकेगी ।

*विश्व शांति की ओर तीव्रता से प्रयास बढ़ाते चलें, स्थापित हो विश्व शांति मिशन कमिटी – श्री नारायण साँई*

सम्पूर्ण विश्व अशांति की आग में जल रहा है । एक-दूसरे के मंगल, हित, रक्षा व उन्नति की भावना खत्म होती जा रही है । हिंसा-तनाव-अशांति की घटनाऐं बढ़ती जा रही है । इस विश्व को मानव अपने ही दुष्प्रयत्नों से, दुष्कृत्यों से खत्म करने को तत्पर हो गया है । इंसान-इंसान के लिए ही खतरा बन रहा है । ऐसे हालातों में वैश्विक शांति की स्थापना करना महत्वपूर्ण है और विश्व शांति की दिशा में भारत महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है । अमेरिका के संरक्षण मंत्री जेम्स मेरिस ने भी इस बात को स्वीकार किया है ।

मैं चाहता हूँ कि विश्व में बढ़ती अशांति को कम करने, खत्म करने भारत में अब एक कमिटी गठित होनी चाहिये जो वैश्विक स्तर पर कार्य करे । व विश्व के सभी देशों के शांति के चाहक, संवर्द्धक लोग राजनेताओं से एवं सभी धर्मों के धर्माचार्यों से संकलन करके विश्व के देशों में बढ़ती अशांति को मिटाने के लिए कार्य करें । ‘विश्व शांति मिशन कमिटी’ में अध्यात्म धरातल से जुड़े लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ।

 – नारायण साँई