शब्द क्रांतिकारी है, साँसों जैसा है शब्दों का संबंध

*”शब्द क्रांतिकारी है,* *साँसों जैसा है शब्दों का संबंध”*
लेखन तो मौन की प्रोडक्ट है । अक्षरों से अवतरित होते हर शब्द की अपनी एक ताकत है । शब्दों की ताकत से क्रांति हो सकती है । गहन मौन की परिभाषा है शब्द ! अंतर के भावों की अभिव्यक्ति हैं शब्द ! मौन की महिमा हैं शब्द ! मौन का श्रृंगार हैं शब्द ! लेखक के सृजन की आधारशिला है शब्द ! शब्दों के साथ का संबंध छूट नहीं सकता, टूट नहीं सकता ! शब्दों से नाता इन तरह जुड़ गया है कि शब्दों के बिना न बोलना संभव है, न लिखना ! शब्दों के बिना जीना ही दुष्कर है । शब्दों के साथ साँसों की तरह संबंध जुड़ गया है हमारा ! गीत-संगीत में, कवि की कविता और लेखक की लेखनी में, पाठक के पठन और वाचक के वाचन में, वक्ता के वक्तृत्व और श्रोता के श्रवण में शब्दों का ही तो जादू है जो नई सोच देता है, दृष्टिकोण देता है । विभिन्न भावों को पैदा करता है । अतीत, वर्तमान और भविष्य का ताना-बाना जोड़ता है । कठोर व नीरस वर्तमान को शब्दों के सहारे ही सरल व रसमय बनाया जा सकता है । शब्द एक जागृति पैदा करते हैं । मानवता को जिंदा रखते हैं । स्वयं को अभिव्यक्त करते हैं शब्द ! शब्दों से संवेदनाएं प्रकट होती है, वे स्व से सर्व तक पहुँचती है । शब्दों से सृजनात्मक विनियोग जब लेखकों का होता है तब अद्भुत कृतियाँ और रचनाएँ बनने लगती हैं । शब्द ही भाषाओं के जनक हैं । शब्दों से ही भाषाओं का अस्तित्व है । भावनाओं को साझा करने में शब्द ही मुख्य माध्यम हैं । शब्दों की ताकत को समझोगे तो दुनिया में परिवर्तन ला सकोगे ।
– नारायण साँई ‘ओहम्मो’